Monday, June 29, 2009

नज़रें चुराकर टीवी देखते दर्शक...

अपनी ग्रेजुएशन तक मैंने फ़ीजिक्स पढ़ी है। उसमें कई ग्राफ़ भी पढ़े हैं। पढ़ा है कि कैसे विद्धुत से लेकर कई चीज़ें ऊपर नीचे होती है। लेकिन, कभी ये नहीं पढ़ा कि एक ही जैसी चीज़ें एक ही वक़्त पर ऊपर भी हो सकती है और नीचे भी। फ़िलहाल छोटा पर्दा यानी कि टीवी मुझे ऐसा ही लग रहा है। कइयों की नज़र में ये डूबता हुआ सूरज है तो कइयों की नज़र में जान अभी कुछ बाक़ी है। टीवी पर एकता कपूर का राज अब विघटन की स्थिति में है। एनडीटीवी इमेजिन पर चल रहा कितनी मोहब्बत है... इसी का एक उदाहरण है। लेकिन, वही उसी एकता कपूर का बंदिनी (जोकि क अक्षर से शुरु नहीं होता है) एक अच्छा धारावाहिक माना जा सकता है। शायद एकता को भी ये मालूम चल गया है कि धारावाहिक के नाम से ज़्यादा कहानी महत्वपूर्ण होती है। धारावाहिकों की इस रेलम-पेल में सब टीवी सबसे अलग है। इस चैनल पर हास्य परोसा जाता है। जब सब को हास्य के लिए समर्पित किया गया था सभी के मन में ये शक़ था कि क्या ये चल पाएगा। लेकिन, आज ये अच्छा खासा चल रहा है। इस चैनल का सकारात्मक प्रभाव ती जांच इस बात से हो सकती है कि मेरी बुआ जोकि मंदसौर में अकेली रहती है केवल सब टीवी देखती है। उनका कहना है कि दिनभर ऑफ़िस में काम करके घर आकर टीवी पर उदासी और रोना धोना मैं नहीं देख सकती हूँ। सब पर कुछ धारावाहिक सच में खूब हंसाते हैं जिनमें पुराना श्रीमान श्रीमती शामिल है। वही जोर शोर से शुरु हुआ कलर्स भी अब धीरे-धीरे अपने रंग खोता जा रहा है। बालिका वधू के कई प्लॉट्स से लोगों को एतराज़ होने लगा है और वही लाडो कन्या भ्रूण हत्या के विषय से भटक गया लगता है। वही विशुद्ध रूप से मसाला धारावाहिक भाग्य विधाता लोगों को पसंद आ रहा है। उतरन भी एक बच्ची की मासूमियत के लिए कम बच्ची के मुंह से निकल रहे बड़े-बड़े डायलॉग और बच्ची की कुटिल नीति के लिए ज़्यादा याद रह रहा है। टीआरपी का ये खेल शुरु करनेवाला चैनल स्टार प्लस आज खुद किसी कोने में खड़ा हुआ है। इसी के साथ शुरु हुआ चैनल स्टार वन भी एक ताज़गी लिए आया था लेकिन, उस चैनल पर आज साराभाई वर्सेस साराभाई के रीपीट टेलीकास्ट के अलावा कुछ भी ताज़गी देने लायक़ नहीं है। शायद आयडियाज़ की कमी के चलते ही रीयलिटी शोज़ की शुरुआत हुई होगी। हालांकि, ये सभी पूरी तरह विदेश आयडियाज़ है लेकिन, हमारे लिए नए थे। यही वजह थी की चोरी का आयडिया होने पर भी कौन बनेगा करोड़पति के लिए हमारा समय रूक जाता था। हालांकि राखी का स्वयंवर जोकि आज से शुरु होनेवाला है विशु्द्ध भारतीय आयडिया लग रहा है। रीयलिटी शो को कोई कितनी भी गाली दे लेकिन, फिर भी हम में से सभी ने कभी न कभी इसमें हिस्सा लेने के बारे में ज़रूर सोचा होगा। या फिर एक एसएमएस तो ज़रूर किया ही होगा। किसी के बाहर हो जाने पर अफ़सोस और किसी नॉट सो डीज़र्विंग के जीत जाने पर गुस्सा भी ज़ाहिर किया होगा। आम दर्शकों का ऐसे धारावाहिकों और रीयलिटी शोज़ के लिए गुस्सा कुछ ऐसा ही है जैसे कि इंडिया टीवी के लिए... कोई भी ये स्वीकार नहीं करता कि वो इंडिया टीवी देखता है फिर भी टीआरपी में वही अव्वल है...

3 comments:

कुश said...

अभी आपकी पोस्ट पढ़ते ही एन डी टी वी इमेजिन देखा.. मैं तो रियल्टी शोज देखता हूँ..

Udan Tashtari said...

सही विश्लेषण!!

Anil Pusadkar said...

बात है तो सही मगर क्या करे इनकी दुकान चल निकली है।