पहले पान को चबाओ और फिर उसकी पीक को थूको और फिर उसे पी जाओ...
अपने साथी प्रतियोगी को गंदी से गंदी गाली दो और फिर उसके पैर पड़ो...
अगर अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगाते हुए आप ये सब करते जाएगें तो आप जीत सकते है कुछ लाख़ या करोड़ रुपए। ये है आज के जमाने का छोटा रास्ता पैसे कमाने का। जैसे कि शाहिद कपूर का कमीने में एक संवाद है- कि शार्ट कट या छोटा शार्ट कट। तो मेहनत आज के वक़्त में आऊट डेटेड हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि पुराने वक़्त में इंसान को शार्टकट पसंद नहीं थे। लेकिन, उन छोटे रास्तों के भी अपने नियम थे जोकि आज नहीं रह गए हैं। बदतमीज़ी की हदों को जो जितनी बदतमीज़ी से पार कर लेगा वो पैसा कमा जाएगा। निजी टीवी चैनलों पर इन शार्ट कट्स की भरमार हैं। बिंदास पर आनेवाला शो दादागीरी इतना वाहियात है कि जिसकी कोई हद नहीं। प्रतियोगियों से इतनी बदतमीज़ी की जाती हैं और प्रतियोगी आपस में इतनी गंदगी भरी बातें करते हैं कि कई बार लगता हैं कि इन्हें वयस्क प्रमाण पत्र देना चाहिए। रोडीज़ हो या फिर मुझे इस जंगल से बचाओ हर शो सबसे बड़ा बदतमीज़ खोजता है। जो सबसे बड़ा होता हैं वो जीत जाता हैं। पिछले कुछ सालों में टीवी ने अपनी शक्ल-सूरत बदल ली है या फिर ये कहे कि समाज ने बदल ली। बुनियाद और हम लोग को याद करनेवाले टीवी के साफ-सुथरे स्वरूप को बहुत मिस करते हैं। सच भी है कि समाज का रूप बदला तो है लेकिन, क्योंकि सास भी कभी बहू थी जितना नहीं। आज के धारावाहिकों में कोई भी गरीब कोई नहीं, आम परेशानियों से जूझता हुआ कोई नहीं। परेशानियाँ अगर है भी तो लार्ज़र देन लाइफ़ है। ऐसे में इनसे मन उचटना स्वाभाविक है और इस उचटे मन के लिए ही भारतीय टीवी के पर्दे पर आए ये शो। लेकिन, मन जोकि चंचल है और एक जगह ज़्यादा देर तक ठहरता नहीं है साफ-सुथरे रीयलीटी शो पर भी नहीं ठहरा। ऐसे में शुरु हुए ये घिन पैदा करनेवाले शो जिन्हें देखकर आप आसानी से गालियाँ सीख सकते हैं। ये शो गालियों के इनसाक्लोपीडिया होते हैं। इन्हें देखकर आप अपने दुश्मनों को ज़लील करना और दोस्तों को दुश्मन बनाना सीख सकते हैं।