कभी पुलिया पर बैठे किचकिच करते थे... अब कम्प्यूटर पर बैठे ब्लागिंग करते हैं...
Tuesday, June 30, 2009
आज पहली तारीख़ है...
आज पहली तारीख़ है। दिन है सुहाना आज पहली तारीख़ है। ख़ुश है ज़माना आज पहली तारीख़ है। कैडबरी का ये विज्ञापन आजकल टीवी पर बहुत दिखाई देता है। अजीब से कॉन्सेप्ट पर बना ये विज्ञापन पहली नज़र में ऊलजलूल लगता है। लेकिन, होंठों पर एक हंसी ला देता हैं। आज सुबह से ये विज्ञापन टीवी पर लगातार आ रहा है। खैर, इसे देखने के बाद मेरे एक मित्र का भोपाल से फ़ोन आया वो एक स्थानीय अख़बार में काम करता हैं। कहने लगा कि आज हमारे दफ़्तर के टीवी दिनभर बंद रहेंगे। मैंने पूछा क्यों। तो बोला कि पिछले दो महीने से हमें तनख्वाह नहीं मिली हैं और मालिक नहीं चाहता कि हम ऐसे विज्ञापनों को देखकर भ्रमित हो जाए और तनख़्वाह मांगने लगे...
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4 comments:
रचना,मनोगत भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिय भाषा का सुन्दर प्रयोग प्रशंसनीय है।
खुश तब होगें जब पहली को मुफ्त में ्मिलेगी...
:) रोचक
लगता है टीवी ज्यादा देख रहे हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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