Wednesday, February 17, 2010

बिंदास होने के मायने...

आजकल मैट्रो स्टेशन्स पर चारों ओर बिंदास टीवी के विज्ञापन नज़र आ रहे हैं। इन विज्ञापनों में कुछ आधुनिक सोचवाले युवा अपने बिंदास होने का अर्थ समझा रहे हैं। वो बता रहे हैं कि मैं बिंदास हूँ इसका मतलब ये नहीं कि मैं ड्रग्स लेता हूँ या फिर मैं भगवान में विश्वास नहीं रखती। आधुनिक सोचवाले युवा का इस्तेमाल इसलिए क्योंकि ऐसे भी कई युवा मौजूद है जो है तो युवा लेकिन उनकी सोच पुरानी ही है। खैर, ये विज्ञापन आपको एक मिनिट ऐसे युवाओं के बारे में सोचने के लिए मज़बूर करते हैं। आसपास खड़े ऐसे ही कुछ ढ़ीली जींस पहने हुए और बाल बिखराएं हुए युवाओं को ध्यान से देखने पर मज़बूर करते हैं। पिछले ही दिनों एक न्यूज़ चैनल पर मैंने चैनल वी के दो वीजे का इन्टरव्यू देखा। लंदन से भारत ये दोनों युवा अपने हिसाब से जीते हैं और अपने हिसाब से देश और उसकी समस्याओं को देखते हैं। उन्हें इस बात से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि कौन उनके बारे में क्या कहता हैं। दरअसल हरेक इंसान अपने हिसाब से जीना चाहता हैं लेकिन, हरेक में ऐसे रहने का माद्दा नहीं होता हैं। कोई समाज से डरता हैं तो कोई परिवार से तो कोई अस्वीकार हो जाने से डरता हैं। ऐसे में हम अंदर से कितने भी बिंदास क्यों न हो हम बाहरी रूप में बहुत सामाजिक होते हैं। बिंदास के ये विज्ञापन आपको अपने अंदर झांकने का एक मौक़ा दे रहे हैं। ज़रा एक बार रूककर सोचिए कि क्या आप भी बिंदास हैं...

3 comments:

अन्तर सोहिल said...

अब तो जरूर देखेंगें जी विज्ञापन भी और खुद को भी
वैसे मुझे पता है मैं बिन्दास नही हूं

प्रणाम

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हाहा, ऐसा बिंदासपना इन्हीं को मुबारक

डॉ .अनुराग said...

मेरे शहर मे अभी तक नहीं आये है ...पर आज की पीढ़ी को दो हिस्सों मे बांटा जा सकता है .एक ओर वे युवा है जो बिंदास भी है ओर दूसरो के बारे मे भी सोचते है .दूसरी ओर वे है जो केवल बिंदास है ....तुरंत फुरंत सब कुछ पाना चाहते है किसी भी रास्ते .....पर फिर भी मुझे अगले तीस सालो मे बेहतर भारत नजर आता है .इवेन श्रीनगर के पहलगाम मे मोर्डन कश्मीरी लडकियों के अन्दर एककोंफिड़ेंस देख ख़ुशी हुई थी