Wednesday, July 8, 2009

ग्लोबल विलेज का ग्लोबल शोक...

अख़बारों में ख़बरों के साथ-साथ निजी सुख-दुख की ख़बरें छपना एक बहुत ही सामान्य बात हैं। जन्मदिन की बधाई और मृत्यु के दुख में सभी को शामिल करने ये परम्परा अख़बारों तक ही सीमित लगती थी। लेकिन, फिर टीवी पर कुछ ऐसे मार्निंग शो शुरु हुए जिनमें कि जन्मदिन की बधाइयां दी जाने लगी। इसी तरह अख़बारों में शादी के लिए दिए जानेवाले विज्ञापनों को टक्कर दी मैट्रीमोनियल साइट्स ने जिसे अब टक्कर दे रहा है टीवी विवाह से जुड़े शो दिखाकर। लेकिन, आज नेट पर तफ़री करते हुए कुछ बेहद ही रोचक और नई चीज़ पर नज़र पड़ गई। भास्कर की वेब साइट पर पहली बार मैंने शोक समाचार देखे। मैंने आज से पहले कभी किसी साइट पर ऐसे समाचार नहीं देखे थे। मुझे ये अनोखे लगे। आखिर अख़बार तो किसी एक क्षेत्र विशेष में ही सर्कुलेट होता है। हाँ अगर अख़बार बहुत मशहूर हो तो एक दिन बाद भी कई शहरों में पहुंचता हैं और लोग उसे पढ़ते हैं। लेकिन, फिर भी वो ग्लोबल इंटरनेट पर चस्पा होकर ही बन पाता है। ऐसे में आप विश्व के किसी भी कोने में बैठकर अपने शहर की ख़बरों पर क्लिक करके उन्हें पढ़ सकते हैं। और, ऐसे में शोक को भी ग्लोबल कर देना एक नई पहल है। अब आप बर्घिंग्म में बैठकर भी ये जान सकते हैं कि भोपाल में किस के घर किसकी मृत्यु हो गई हैं। ग्लोबल विलेज का ग्लोबल शोक...

3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

वैश्विक गांव में कुछ भी कीजिए वह वैश्विक ही होगा।

anil said...

सही है !

sandhyagupta said...

Bazar ki pahunch se ab kuch bhi dur nahin.