Saturday, December 5, 2009

चौंचलेबाज़ी...

आज सुबह-सुबह मैं अपनी कैमरा टीम के साथ यमुना किनारे गई। यमुना दिल्ली के अंदर बहनेवाली थी इसलिए अगर कोई बताता नहीं तो लगता कि कोई नाला बह रहा है। आज वर्ल्ड वॉलेन्टियर डे है। माने कि आप किसी अच्छे काम के लिए श्रमदान करें। यही वजह थी कि कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने कुछ स्कूली और कॉलेज के बच्चों को इकठ्ठा किया था। यमुना की सफाई कर रहे ये लोग कुछ-कुछ अंग्रेज़ लग रहे थे। हालांकि वहाँ कुछ अंग्रेज़ भी मौजूद थे जिनसे मैने पूछा था कि इस सब क्या औचित्य। खैर, इन एडिडास और नाइकी पहने बच्चों को हावड़ा, ग्लवज़, रबर के जूते और टी-शर्ट सबकुछ दिया गया था। ये सभी यमुना के किनारों से गंदगी निकाल रहे थे और एक जगह इकठ्ठा कर रहे थे। कुछ भारतीय एनजीओ और ख़बरिया चैनलों के साथ कुछ अंग्रेज़ी एनजीओ की इस मुहिम में सरकारी स्कूल के और आश्रय सेन्टरों में रहनेवाले बच्चे भी आकर मिल गए थे। ऊपरी तौर पर ये पूरी मुहिम एक सार्थक प्रयास लग रही थी लेकिन, अंदर ही अंदर वहाँ मौजूद भारत में रहनेवाले और केवल अंग्रेज़ी बोलनेवाले और पहननेवालों को देखकर खोखलापन महसूस हो रहा था। आधे से ज़्यादा युवा वहाँ फ़ोटो खिंचावाने आए थे। कुछ वहाँ होनेवाले अंग्रेज़ी गानों के कॉन्सर्ट को सुनने के लिए रूके लग रहे थे। ये युवा पीढ़ी की वो जमात दिख रही थी जो घर में शायद ही कभी अपना कमरा साफ करती हो या फिर वो जोकि कार से कोल्ड ड्रिंक का केन यूँ ही सड़क पर फेंक देती है। मैं जानती हूँ कि इस तरह के प्रयासों को सिरे से नकारना ग़लत होगा लेकिन, इस अभियान में इमानदारी मुझे कुछ कम लगी। आते समय देखा कि यमुना के किनारे पर खाने-पीने का सामान और पन्नियों और बोतलों का कचरा पड़ा हुआ था। साथ ही मेरे ड्राइवर को अफसोस था कि बैन्डवाले सरदारजी(रॉक बैन्ड के लीड सिंगर) ने केवल अंग्रेज़ी में गाने गाएं पंजाबी या हिन्दी में एक तो गा देता।

जाते-जाते इतना कि यमुना की सफाई करनेवालों के सामन ही कइयों ने उसमें पन्नियाँ फेंकी। युवाओं ने उन्हें समझाने की कोशिश की। वो उनके सामने हाँ- हाँ करके निकल गए। जाते-जाते इतना बोल कि इनके एक दिन के चौंचले में हम रोज़ का काम छोड़ दे क्या...

5 comments:

कुश said...

जो लोग ईमानदारी से काम करते है.. वहाँ तक आपकी कैमरा टीम शायद पहुँचती नहीं है.. कैमरा टीम को ऐसे ही चेहरे चाहिए.. चोंचलेबाजी ही आजकल खबर बनती है.. .. ?

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सच कह रही हैं आप दीप्ती.... यह सब चौंचले बाज़ी ही है.....

दिगम्बर नासवा said...

सफाई की शुरुआत पहले पहल घर, मोहल्ले और शहर से होनी चाहिए ........ अगर ऐसा हो जाए तो अपने आप सब कुछ सुधार जाएगा ..........

kishore ghildiyal said...

ek sahi jagah par aapne sahi baat kahi hain

Anonymous said...

ये बात सही है कि जो लोग चोंचलेबाज़ी करते हैं वहीं कैमरा टीमों और अखबार वालों को बुलाने में कामयाब होते हैं। जो काम करते हैं वो चुपचाप करते रहते हैं।