कभी पुलिया पर बैठे किचकिच करते थे... अब कम्प्यूटर पर बैठे ब्लागिंग करते हैं...
Tuesday, January 19, 2010
पर्वतारोहियों को नज़दीक से समझे...
पिछले कुछ दिनों से मेरी तबीयत बहुत खराब थी। पहले ठंड लग गई, फिर आखों में इन्फ़ेक्शन हो गया और फिर एक आंख में हैमरेज़ हो गया। इन सभी कारण से मैं ब्लॉगिंग से दूर रही लेकिन, ऑफ़िस लगातार आती थी और काम भी उसी गति से चलता रहा। मुझे दिल्ली की इस ठंड ने अंदर तक हिलाकर रखा है। मुझसे ये ठंड बिल्कुल सहन नहीं हो रही है। ऐसी ही बीमारी में मैं पिछले दिनों एक ऐसी जगह शूट पर गई जहाँ जाकर मेरे अंदर की ठंड और बढ़ गई। ये जगह थी - माउन्टनियरिंग म्यूज़ियम। दिल्ली के बीचों-बीच ऐसी शांत जगह कि कल्पना शायद ही किसी ने की हो। इस म्यूज़ियम में पर्वतारोहण से जुड़ी हर चीज़ मौजूद हैं। हमारे देश में कब कौन किस पर्वत पर चढ़ा, कितनी बार चढ़ा, कैसे चढ़ा सब यहाँ आकर मालूम चल जाता है। ये म्यूज़ियम अपने आप में बेहतरीन हैं। यहाँ कई तरह की जानकारियाँ मौजूद हैं। नक्शे हैं, वो उपकरण हैं जो कि पर्वतारोहियों ने इस्तेमाल किए हैं और साथ ही पर्वतों से जुड़ी सारी कहानियाँ तस्वीरों से बयां हैं। यहाँ एवरेस्ट के नामकरण से लेकर फूलों की घाटी को खोज तक को समझा जा सकता हैं। दिल्ली की व्यस्त ज़िंदगी के बीच अगर आपको पर्वतों से प्यार है तो आप भी यहाँ ज़रूर जाए।
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