कभी पुलिया पर बैठे किचकिच करते थे... अब कम्प्यूटर पर बैठे ब्लागिंग करते हैं...
Monday, June 14, 2010
टोटल रीकॉल
छुट्टी के दिन वैसे तो कई काम होते हैं लेकिन, कई बार ऐसा भी लगता है कि कोई काम ही नहीं है। ऐसे में साथ देता हैं टीवी। आज हमारे सामने इतने सारे चैनल के ऑप्शन है कि ये समझ ही नहीं आता हैं कि क्या देखे और क्या न देखे। ऐसे में मेरा हाथ लगातार रिमोट के बटनों में घुमता रहता है। लेकिन, कल मेरा हाथ रुक गया। टाइम्स नॉओ पर टोटल रीकॉल आ रहा था। उत्पल दत्त के बारे में। उनकी की गई फ़िल्में, उनके निभाए किरदार और उनकी ज़िंदगी के कई अनछुए पहलू। एक बार देखना शुरु किया तो उसके खत्म होने तक वही लगा रहा। यहां तक कि ब्रेक में भी चैनल नहीं बदला। ऐसा कई सालों बाद मैंने किया होगा। हालांकि नीचे चल रहे ढ़ेरों स्क्रोल और अजीब सी विंडों में बहुत भरा भरा परेशान कर रहा था फिर भी मैंने उसे पूरा देखा। कारण सिर्फ़ इतना कि कार्यक्रम का कन्टेन्ट बहुत बेहतरीन था। अफसोस की हिन्दी में ऐसे कार्यक्रम मुझे आजकल नज़र नहीं आते। इस कार्यक्रम को मैं पहले भी देखती थी और मुझे ये हमेशा से ही अच्छा लगता हैं। लेख का मक़सद बस इतना कि अगर आपने आजतक नहीं देखा तो एक बार ज़रूर देखे।
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1 comment:
mudde ki baat to ab hoti hi nahi hai...channel pe...
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