मौसी दिल्ली में क्यों रहती है? क्या उनकी शादी हो गई हैं?
ये मासूम से सवाल मेरी भांजी ने मेरी मम्मी से पिछले दिनों पूछे। मेरी मौसेरी बहन कुछ दिन पहले भोपाल गई थी। जब मम्मी ने उनकी बेटी को ये बताया कि दीप्ति मौसी दिल्ली में रहती है, तो उसने ये सवाल कई बार मम्मी से पूछा कि बिना शादी के कैसे वो दिल्ली चली गई। मेरी भांजी की उम्र 5 साल है। जब मम्मी ने ये बात मुझे बताई तो मैं खूब हंसी। लेकिन, इस सवाल के पीछे एक बहुत अहम बात छुपी हुई है। आखिर 5 साल की बच्ची के दिमाग़ में ये कैसे आया कि लड़कियां केवल शादी के बाद ही घर से बाहर जाती हैं। आज से वक़्त में तो ये बात और अखरती हैं। पहले के समय की बात और थी कि लड़कियाँ शादी करके ही बाहर निकलती थी लेकिन, आज तो नौकरी से लेकर पढ़ाई तक के लिए लड़कियाँ घरों से बाहर आ रही हैं। लेकिन, शायद आगर गिनती की जाए तो आज भी घरों में ही रह जानेवाली लड़कियों की संख्या ज़्यादा होगी। परिवार के माहौल का बच्चों पर कितना असर होता हैं ये इस बात से भी समझा जा सकता हैं कि जब मैं छोटी थी अपनी मौसियों की शादियाँ होते देखती थी लेकिन, मेरी एकमात्र बुआ की शादी नहीं होती थी। मैं पापा से कहती थी कि- मौसी की शादी होती है, बुआ की नहीं। मेरे पापा बस हंसकर रह जाते थे। मैं ये समझ ही नहीं पाती थी कि किसी की मौसी किसी और की बुआ भी तो होती है। खैर, मेरी बुआ ने शादी क्यों नहीं कि ये बात मुझे बहुत साल बाद समझ आई। लेकिन, मुझे लगता है कि इन बातों को हंसकर नहीं टालना चाहिए। ज़रूरत है उस बच्ची को ये समझाने कि आखिर क्यों दीप्ति मौसी बिना शादी किए दिल्ली में रह रही हैं...
3 comments:
आखिर 5 साल की बच्ची के दिमाग़ में ये कैसे आया कि लड़कियां केवल शादी के बाद ही घर से बाहर जाती हैं।"
कही न कही हम खुद इसके जिम्मेदार होते है. कोई लडका अगर बिना शादी हुए कही अन्यत्र रहने लगे तो यह सवाल जन्म नही लेता है पर अगर लडकी तो ----. झांक कर देखे ये सवाल हमसे होता हुआ ही 5 साल की बच्ची मे गया है.
जैसा माहौल बच्चो के आस पास निर्मित होता है वैसी ही सोच उन की बन जाती है....इस मे उनका नही, हमारा दोष है......इसे बदलने की जरूरत है....
मेरे पांच साल के भतीजे से संवाद
अप जयपुर में क्यों रहते हो ?
मैं वहां काम करता हूँ
आप यहाँ काम क्यों नहीं करते
मैं वहाँ पर काम अच्छा है...
यहाँ पर काम अच्छा नहीं ?
वहां पर रूपये ज्यादा मिलते है..
यहाँ पर रूपये ज्यादा नहीं मिल सकते..
बच्चो का मन गीली मिट्टी की तरह होता है उसे कोई भी रूप दिया जा सकता है.. हमें उनकी जिज्ञासाओ को उचित बातो द्वारा शांत करना चाहिए.. आपने अपनी पोस्ट की बाबत एक गहरी बात कही है.. वाकई लड़कियों के बारे में इस तरह की धरना जाने अनजाने बन ही जाती है.. पर अब वक़्त बदल रहा है.. आजकल के बच्चे सवाल पूछते है..
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