कभी पुलिया पर बैठे किचकिच करते थे... अब कम्प्यूटर पर बैठे ब्लागिंग करते हैं...
Saturday, November 21, 2009
बिना शादी किए प्रेमी के साथ रह रही प्रेमिका अपने प्रेमी के साथ भाग गई...
हरेक इंसान अपनी ज़िंदगी में एक ना एक बार ये ज़रूर बोलता है- ज़माना बदल गया है। हमारे वक़्त में तो सब कुछ कितना अच्छा था और ऐसी ही कई बातें। हरेक इंसान ये जानता हैं कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। अपनी सुविधा के अनुसार हर कोई बदल जाता हैं। पहले बस से चलनेवाला कुछ दिनों बाद ऑटो की सवारी करता हैं और फिर ख़ुद की कार की। ऐसे ही परिवर्तन हमारी सोच में होते हैं और रिश्तों में भी। पुराने वक़्त में शादी से पहले लड़का-लड़की एक दूसरे को देखते भी नहीं थे और आज के समय में माँ-बाप खु़द उन्हे कहते हैं घूमने फिरने के लिए। प्रेम विवाह भी अब बीती बात हो गई। अब तो ज़माना है लीव इन रिलेशनशीप का। मैंने कइयों को ये बोलते सुना है कि लव मैरिज़ भी टिकती नहीं हैं। प्यार में अंधे होकर शादियाँ करनेवाले जब परिवार के बोझ से दबते हैं तो टूट जाते हैं। बात शायद ठीक हो क्योंकि जब बात प्यार की होती हैं तो बस दो इंसान को आपसी तालमेल की ज़रूरत पड़ती हैं लेकिन, शादी के बाद दो परिवारों का तालमेल शुरु होता हैं। लेकिन, लीव इन में तो वो भी ज़िम्मेदारी नहीं। इसमें तो आप बिना किसी उम्मीद के बिना किसी ज़िम्मेदारी के सामनेवाले के साथ रहते हैं। जब लगे कि अब निभानी मुश्किल है आगे बढ़ जाओ। कई बार ये महसूस होता हैं कि ऐसे रिश्तों से जन्मे बच्चों का भविष्य क्या होगा। बच्चा बड़ा होगा और कहेगा कि मेरे मम्मी और पापा मेरे जन्म से लेकर आज तक कुछ 10 साथी बदल चुके हैं। मेरे पापा की और मेरी मम्मी की ओर अलग-अलग हम कुछ 10 भाई-बहन हैं। सबुकछ आधुनिक हो जाएगा। बच्चों और माँ-बाप के बीच का अंतर ख़त्म हो जाएगा। जो आज एक परिवार का हिस्सा नहीं बनना नहीं चाहते हैं। हर तरह की ज़िम्मेदारी से दूर रहना चाहते हैं। बिना किसी परेशानी के संबंध चाहते हैं वो क्या बच्चे चाहेंगे। मूंगफली की तरह आई-पिल खानेवाली, हर हफ्ते वीक एंड पर सबसे दूर भागनेवाली, ऑफ़िस के बाद मोबाइल स्विच ऑफ़ करनेवाली इस जनरेशन से क्या बच्चों को पालने और बड़ा करने की फुल टाइम जॉब हो पाएगी। मैं भी इसी पीढ़ी की हूँ और जब भी मेरी शादी के बारे में बातचीत होती हैं तो मुझे मेरा बुरा स्वभाव, लोगों से दूर भागने का स्वभाव और जल्दी से खीज जानेवाला स्वभाव डराने लगता हैं। इन सब बदलावों के बीच भी कुछ ऐसा है जो आज भी वही हैं और वो है इंसान की नीयत। पिछले कई दिनों से ये ख़बरें आ रही है कि लव मैरिज में भी अब दहेज मांगा जाने लगा है। शायद लड़केवालों को ये समझ में आ गया कि लड़का तो अब वही करेगा जो वो चाहेगा ऐसे में इसी रिश्ते का दोहन करना सीखना होगा। साथ ही साथ लड़कियों के माँ-बाप का ये भ्रम भी टूट गया कि अगर लव मैरिज हुई तो दहेज नहीं लगेगा। कुछ 10 दिन पहले की ख़बर और चौंकानेवाली थी। एक लड़के ने लड़की की हत्या कर दी मामला बना दहेज का। लड़का-लड़की लीव इन में रहते थे। याने कि अब हम ज़िम्मेदारी नहीं उठाना चाहते हैं लेकिन, फ़ायदों को छोड़ना भी नहीं चाहते हैं। ये कहानी यही ख़त्म नहीं होती हैं। लीव इन में रहनेवाले जोड़े अब बेवफाई भी करते हुए दिखाई देते हैं। मेरे आसपास ही मुझे कुछ ऐसे जोड़े दिखे जो कि लीव इन में रहते हैं और साथ ही में छुपकर रिश्ता भी रखते हैं। मुझे ये समझ नहीं आया कि जब आप एक नो प्रॉफ़िट नो लॉस के रिश्ते में हैं तो दूसरे को छुपकर क्यों निभा रहे हैं। बिंदास छोड़कर जाइए और रहिए दूसरे के साथ। कुछ ही दिनों में ये सुनने को मिलेगा कि बिना शादी किए प्रेमी के साथ रह रही प्रेमिका अपने प्रेमी के साथ भाग गई...
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2 comments:
देखिये, कुछ लोग शादी करते हैं, परिवार बसाते हैं और परिवार के लिए जीते हैं. कुछ अविवाहित रहकर किसी उद्देश्य के लिए जीते हैं जैसे कि सन्यासी, RSS के प्रचारक, नन और पादरी इत्यादि. परन्तु विवाह करने के बाद भी परिवार की जिम्मेदारी न उठाने वाले या फिर केवल जिम्मेदारी से बचने और स्वच्छंद रहने के लिए अविवाहित रहकर भी तमाम तरह के संबंधों में उलझने वाले उद्देश्यहीन लोगों की जिंदगी हमेशा दुखदाई ही होती है, उनके स्वयं के लिए भी और उनके सम्बन्धियों के लिए भी. बिना उद्देश्य जीवन तो कटी पतंग के समान ही होता है वह कहाँ जाकर ठहरेगी किसी पेड़ पर, झाड़ पर, नाले में, छत पर, जमीन पर...............उसे खुद भी नहीं पता होता लेकिन उतरना उसे नीचे ही पड़ता है.
इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता.. इन सब बातो पर सोचा नहीं है अभी और बिना कुछ सोचे समझे कमेन्ट करना भी ठीक नहीं..
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