Wednesday, November 25, 2009

झूठ की बुनियाद पर खड़े रिश्ते...

कल कुरबान फ़िल्म की समीक्षा पढ़ी। समीक्षा पढ़ने के बाद जो बात मन में आई जो वो थी महिलाओं की स्थिति। हर किसी ने फ़िल्म की समीक्षा में आंतकवाद की चर्चा की और यही विषय भी था। लेकिन, मेरा मन इस बात पर टिक गया कि- कैसे एक लड़की को शादी के बाद ये बात मालूम चलती है कि उसका पति आंतकवादी है। असलियत भी यही है कि लड़कियों को ससुराल के बारे में और अपने पति के बारे में कई बातें शादी के बाद ही पता चलती है। कुछ बातें छोटी होती हैं तो कुछ बड़ी। लेकिन, शादीशुदा लड़कियाँ जिन्हें माँ-बाप सर से उतरा हुआ बोझ समझते हैं और ससुरालवाले अपनी जायदाद कुछ कहने की हैसियत नहीं रखती हैं। मेरी मम्मी को शादी के बाद मालूम हुआ कि मेरे बाबा नॉनवेज खाते थे। बाबा अंग्रेज़ों की सेना में थे और चार गोलियाँ खाकर बर्मा (शायद) से पैदल आए थे। ऐसे में उन्हें जो मिल जाता था वो खा लेते थे। बहुत मुश्किल से वो ये खाना छोड़ पाए थे। हो सकता है किसी को ये बात बहुत बड़ी ना लगे। लेकिन, एक विशुद्ध शाकाहारी ब्राह्मण परिवार में पली बढ़ी लड़की के लिए ये चौंकानेवाला था। मेरी एक भाभी को शादी के बाद ये मालूम हुआ कि भैया के आगे दे दो दांत नकली हैं। ये पता चलने पर जब भैया ने पूछा कि क्या तुम्हें बुरा लगा? तो भाभी ने जवाब में ना कहा। वो और क्या कहती? अगर कहती कि लगा तो क्या हो जाता। ऐसा ही कोई सच अगर लड़की के बारे में शादी के बाद पता चलता तो क्या वो बात भी इतने सामान्य रूप से दब जाती। ऐसे कई किस्से हमारे आसपास हमें मिल जाएगे। ऐसा कई बार सुनने को मिल जाता हैं कि झूठ बोलकर शादी कर दी गई। कुछ साल पहले की बात है मेरी एक मौसी के लिए रिश्ता आया था। बातचीत आगे बढ़ी तो मालूम चला कि लड़का विधुर है। मौसी तब तक उस लड़के से एक दो बार मिल चुकी थी और शायद सपने संजोना भी शुरु कर चुकी थी। लेकिन, सब कुछ ख़त्म हो गया था। उन्होंने किसी से कुछ नहीं बोला। बोलती भी क्या। लड़के की शारीरिक बनावट या मानसिक कमियों से लेकर उसकी नौकरी-चाकरी और पिछली ज़िंदगी की बातें परिवार हमेशा ही छुपाता है। ये सोचकर कि शादी के बाद अगर लड़की को मालूम भी चला तो वो और उसका परिवार क्या कर पाएगा। वैसे ही लड़कियों की परवरिश ही कुछ ऐसी होती है कि वो सामाजिक रूप से पंगु हो जाती है। अपनी परेशानी लड़की माँ-बाप को अगर बताती भी है तो वो उसे एडजस्ट करने की सलाह दे देते हैं और अपने पति से किसी भी तरह की उम्मीद उसके लिए बेवकूफी से ज़्यादा कुछ नहीं होगी। अगर वो इतना समझदार होता तो शादी से पहले ही अपने घरवालों के झूठ उसे बता देता। शादी एक इंसान की ज़िंदगी का सबसे अहम बंधन है खा़सकर हमारे समाज में जहाँ उसे किसी भी तरह निभाना ही होता हैं। लेकिन, फिर भी इस बंधन में झूठ और फ़रेब की इतनी गांठे होती हैं कि लड़की चाहे भी तो उन्हें खोलकर ख़ुद को आज़ाद नहीं कर सकती हैं।

कुरबान में करीना का किरदार शायद आसपास फैले हुए आंतकवाद को देखकर सकते में होगा लेकिन, अगर उस जगह मैं होती तो शायद आंतकवाद से ज़्यादा उस इंसान के झूठ से सकते में होती जिसके भरोसे मुझे ज़िंदगी बितानी थी...

2 comments:

कुश said...

कुर्बान वास टोटली फेक..

वैसे मेरे एक कजिन को शादी के बाद पता चला कि उसकी वाईफ को कभी टर्म्स ही नहीं होते थे.. हर महीने के चार दिन वो अपने मायके चली जाती थी.. शादी के दो साल बाद पता चला कि वो माँ नहीं बन सकती.. बात छुपायी गयी थी..

मेरे एक फ्रेंड की शादी के बाद उसे पता चला कि उसकी वाईफ का मानसिक संतुलन ख़राब है.. बचपन से उसकी बीमारी के बारे में जानने के बावजूद उनके घरवालो ने शादी करवाई.. लड़के वालो के मना करने पर सुबह उनके घर के बाहर लड़की को छोड़ गए... अभी उसकी ज़िन्दगी नरक बन चुकी है..

ऐसा नहीं है कि लड़की के साथ ही ऐसा होता है.. धोखा किसी के भी साथ हो सकता है..

अन्तर सोहिल said...

अजी लडकियों की तो बहुत सारी बातें तो शादी के बाद भी पता नहीं चलती हैं। :)

वैसे यह धोखेबाजी केवल वरपक्ष ही नही वधूपक्ष के द्वारा भी समानुपात में होती है।

प्रणाम