कभी पुलिया पर बैठे किचकिच करते थे... अब कम्प्यूटर पर बैठे ब्लागिंग करते हैं...
Monday, December 21, 2009
फ़ोटो के ज़रिए सिनेमा का नया रूप...
फोटो। दस या ग्यारह साल का एक बच्चा जोकि बाकी बच्चों की ही तरह स्कूल जाता है। घर भी सामान्य घरों-सा ही है उसका। फिर भी वो अलग था। वो कुछ अलग करना चाहता था। उसकी एक सोच थी जोकि ओरों से अलग थी। वो सोचता था कि कैसे बनती हैं फ़िल्में। कैसे दिन से रात और रात से दिन हो जाता हैं। फोटो ने जानना चाहा कि फ़िल्मों की शुरुआत कैसे हुई। उसे इन बातों का जवाब मिला उसकी सोच से और खोज से। उसकी सोच में उसका एक साथी था। वो उसे उकसाता था कि वो पढे़ और खोजे कि कब, कैसे और कहाँ हुई फ़िल्मों की शुरुआत। और, बड़ा होकर फोटो बन जाता है ख़ुद एक निर्देशक। फोटो नाम है एक फिल्म का जोकि मैंने इस शनिवार को देखी। लोकसभा टीवी हर शनिवार को राष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित एक फिल्म दिखाता हैं। ये फ़िल्म वो बिना किसी एड ब्रैक के दिखाता हैं। फिलहाल वीक एंड क्लासिक के नाम से दिखाई जानेवाली इस सीरीज़ में बच्चों की फ़िल्में दिखाई जा रही हैं। इसी का हिस्सा थी ये फ़िल्म- फ़ोटो। मुझे लगता है कि ये फ़िल्म ज़्यादा लोगों ने नहीं देखी होगी। लेकिन, इसे आप ज़रूर देखें। ख़ासकर बच्चों को ये फ़िल्म ज़रूर दिखाए। इस फ़िल्म के ज़रिए बच्चे समझ पाएंगे सिनेमा के मायने और अगर आपको लगता हैं कि सिनेमा बेकार हैं तो आपको भी देखना चाहिए ये फ़िल्म। आप भी जानेंगे कि सिनेमा भी कला हैं।
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1 comment:
मुझ जैसे सिनेमा प्रेमी को आपने एक अच्छी फिल्म के नाम से परिचित करवा दिया...शुक्रिया...
नीरज
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