मेरी पिछली पोस्ट पर आई प्रतिक्रियों से मुझे ये तो समझ आया ही कि सिर्फ़ महिलाओं के साथ शादी के मामलों में अन्याय नहीं होता है बल्कि पुरुषों के साथ भी होता है। लेकिन, साथ ही ये भी महसूस हुआ कि पुरुष किसी भी सूरत पर महिलाओं को समाज की ग़लत हरक़तों के लिए ज़िम्मेदार मानने में कोताही नहीं बरतना चाहते हैं। अपने लेख में मैंने केवल महिलाओं के दुख को लिखा लेकिन, मैं ये स्वीकार करती हूँ कि इस तरह के धोखे किसी के भी साथ हो सकते हैं। लेकिन, एक बात ये भी है कि पुरुष के पास अपनी जीवन साथी की कमी को कही न कही जाकर पूरा करने के साधन स्त्रियों से ज़्यादा हैं। खैर, मैं कल से कुछ परेशानी में हूँ। जोकि आज ब्लॉग पर एक सज्जन की पोस्ट को पढ़कर और बढ़ गई। कुछ दिनों पहले ख़बर मिली कि मेरे पहचान क्षेत्र की एक लड़की ने अपने प्रेमी को धोखा दिया। लड़की उस लड़के से पिछले 5 सालों से प्यार कर रही थी और उनकी जल्द ही शादी होनेवाली थी। बावजूद इस सबके लड़की ने किसी और लड़के से संबंध रखे। मेरी मित्र मंडली में उस लड़की की बेवफ़ाई के किस्से तैर रहे हैं। मैं भी उसे ग़लत मानती हूँ। लेकिन, एक बात से मुझे एतराज है। वो लड़का जिससे लड़की के बाद में संबंध बने वो ये जानता था कि इसका प्रेमी है और वो पूरे तरीक़े से मन बहला रहा था। इसके बावजूद कोई लड़के को ग़लत नहीं मान रहा हैं। सभी का कहना है कि लड़की उत्तेजित करे तो लड़का बेचारा क्या करें। यही बात आज सुबह पढ़ी पोस्ट में थी जहाँ सज्जन लड़कियों पर पूरे समाज की ज़िम्मेदारी डाल रहे थे। वो भी सिर्फ़ बच्चे पैदा करने के रूप में। समस्या ये है कि हम जब भी किसी विशेष लिंग से जुड़े मुद्दों पर बात करते हैं। तो हम ख़ुद का फ़ेवर करने लगते हैं और दूसरे को ग़लत मान लेते है। इतनी समझ रखनेवाले हम लोग शायद बिना किसी कि ओर झुके कोई बात तय नहीं कर सकते हैं।
कभी पुलिया पर बैठे किचकिच करते थे... अब कम्प्यूटर पर बैठे ब्लागिंग करते हैं...
Saturday, November 28, 2009
मेरा एक तरफा होना ग़लत था...
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3 comments:
आज के समय का सबसे संवेदनशील मुद्दा ...
आपने संतुलित रूप में अपनी बात रखी ...समाज को अपना नजरिया बदलना होगा और युवाओं को भी ..
अजय कुमार झा
पुरुष का तो ये हर जगह ये हाल है अगर घर मे कोई ब्च्चा अच्छा निकला तो पिता पर गया है अगर कोई बुरा है तो माँ ने बिगाडा। बात की तह तक वो जाना ही नहीं चाहते। कोई बहस फिज़ूल है बहस मे संतुलन होना चाहिये । औरत तो चाहे मान ले अपनी गलती मगर पुरुष कभी नहीं। अगर हैं भी मनने वाले तो आटे मे नमक जैसे। अच्छा आलेख है शुभकामनायें
आपका कहना सही है..ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है!पर जान बूझ कर बेवफाई करना और धोखा देना गलत बात है..!
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